Neeraj
सृष्टि कितनी भी परिवर्तित हो जाए किन्तु फिर भी हम पूर्ण सुखी नहीं हो सकते...!
परंतु.......
दृष्टि थोड़ी सी परिवर्तित हो जाए तो हम सुखी हो सकते हैं।
"जैसी दृष्टी-वैसी सृष्टि"
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